

सुबह की शांति तब चीख में बदल गई, जब लुगू पहाड़ की खामोशी को गोलियों ने चीर दिया।
धुएं के छंटते ही ज़मीन पर पड़ा था झारखंड का सबसे कुख्यात नक्सली — कुंवर मांझी उर्फ़ सहदेव मांझी, जिसके सिर पर ₹5 लाख का इनाम था।
🔥 क्या हुआ उस सुबह लुगू पहाड़ में?

बुधवार की तड़के बोकारो जिले के गुमिया थाना क्षेत्र के बिरडरा जंगल में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, माओवादियों की गतिविधियों की खबर मिलते ही कोबरा बटालियन और बोकारो पुलिस की संयुक्त टीम ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया।
और फिर अचानक…
गोलियों की बारिश शुरू हो गई।
💥 गोलियों की बौछार और मौत का तांडव

जवाबी फायरिंग में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों को घेर लिया। इस मुठभेड़ में मारा गया झारखंड का वांछित हार्डकोर माओवादी — कुंवर मांझी।
मौके से एक AK-47 राइफल, भारी मात्रा में नक्सली दस्तावेज, और दो शव बरामद किए गए।
दूसरे शव की पहचान अब तक नहीं हो सकी है। शक है कि नक्सलियों ने किसी निर्दोष ग्रामीण को बंधक बनाकर मार डाला।
एक शहीद – करोड़ों का सिर ऊँचा कर गया
इस सफलता की कीमत भी देश को चुकानी पड़ी।
कोबरा बटालियन के बहादुर जवान प्रणेश्वर कोच ने अपनी जान कुर्बान कर दी।
मुठभेड़ के दौरान घायल हुए कोच को हेलीकॉप्टर से ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही वे वीरगति को प्राप्त हो गए।
उनकी शहादत सिर्फ एक नाम नहीं, एक गाथा है।
🧭 सवाल अब भी बाकी हैं…
- दूसरा शव किसका है?
- क्या नक्सली ग्रामीणों को ढाल बनाकर छिपते हैं?
- कितने और कुंवर मांझी अभी भी जंगलों में छिपे हैं?
इस पूरे ऑपरेशन की जांच अभी जारी है।
🎖️ क्यों जरूरी है यह लड़ाई?

नक्सलवाद झारखंड की जड़ों को खोखला कर रहा है।
जो जवान अपनी जान जोखिम में डालकर हमें सुरक्षित रखते हैं, क्या हम उनकी कुर्बानी को भुला सकते हैं?
शहीद को सलाम करें। देश के सच्चे रक्षकों की कहानी लोगों तक पहुँचाएं।
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🕊️ वीर जवान प्रणेश्वर कोच को श्रद्धांजलि।
उनकी शहादत को सलाम, और नक्सलवाद को करारा जवाब।
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