होली केवल रंगों का नहीं, बल्कि सौहार्द, प्रेम, और अपनत्व का पर्व है। यह त्यौहार हमें न केवल खुशियों में रंगने का अवसर देता है, बल्कि यह सिखाता भी है कि पुरानी और नई पीढ़ी एक साथ मिलकर कैसे इस जीवन को और खूबसूरत बना सकती हैं। इस बार एनएससी कोचिंग और एनएससी बुजुर्ग मनोरंजन केंद्र ने मिलकर होली का एक विशेष आयोजन किया, जो हर किसी के लिए यादगार और प्रेरणादायक रहा। इस आयोजन की सबसे खास बात थी कि इसमें बच्चों और बुजुर्गों ने साथ में होली खेली, नाच-गाना किया और यह संदेश दिया कि सुखी होली खेलें, जल बचाएं और पर्यावरण को सुरक्षित रखें


🎉 जब बुजुर्गों ने बच्चों के साथ खेली बचपन की होली!

यह कहना गलत नहीं होगा कि इस आयोजन में बुजुर्गों ने फिर से अपना बचपन जी लिया। आमतौर पर हम देखते हैं कि होली युवाओं और बच्चों का पर्व माना जाता है, लेकिन इस बार बुजुर्गों ने खुद बच्चों की तरह रंगों में सराबोर होकर इस आयोजन को अनोखा बना दिया। बुजुर्ग मनोरंजन केंद्र के संचालक श्री पी.एन. लाल ने कहा,
“हमने कभी नहीं सोचा था कि हमें इतना आनंद आएगा। बच्चों के साथ होली खेलकर हमें अपना बचपन याद आ गया।”

🌿 पर्यावरण संरक्षण का संदेश – केवल ऑर्गेनिक गुलाल का उपयोग!

आज के समय में रासायनिक रंगों का उपयोग बहुत आम हो गया है, जिससे त्वचा की एलर्जी, आंखों में जलन और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं। लेकिन एनएससी कोचिंग और बुजुर्ग मनोरंजन केंद्र ने इस साल होली को विशेष बनाने के लिए एक अनोखी पहल की।
🎨 यह होली ऑर्गेनिक गुलाल से खेली गई, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि किसी भी व्यक्ति की त्वचा और स्वास्थ्य को कोई नुकसान न पहुंचे।

एनएससी कोचिंग की निर्देशिका नूतन श्रीवास्तव ने इस विषय पर ज़ोर देते हुए कहा,
“बच्चों को समझाया गया कि रासायनिक रंग न केवल हमारी त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं, बल्कि वे जल स्रोतों को भी दूषित करते हैं। इसीलिए हमें हमेशा ऑर्गेनिक और प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करना चाहिए।”


🚰 जल संरक्षण – जब बच्चों ने किया सूखी होली खेलने का वादा!

हम सब जानते हैं कि होली में पानी की बहुत अधिक बर्बादी होती है। लेकिन इस बार का मुख्य उद्देश्य केवल होली मनाना नहीं था, बल्कि पानी बचाने और पर्यावरण को संरक्षित रखने का भी संदेश देना था।

समारोह के दौरान अनंत कुमार सिन्हा सर ने सभी बच्चों को यह वादा करने के लिए कहा कि वे अपने घरों में भी सूखी होली ही खेलेंगे और पानी की बचत करेंगे। बच्चों ने भी बड़ी खुशी से यह वादा किया कि वे रंगों की इस परंपरा को सही तरीके से निभाएंगे और जल संरक्षण में योगदान देंगे।

🚱 “पानी की बचत करें – यह हमारा कर्तव्य है!”
🎯 “रासायनिक रंगों से बचें – पर्यावरण को सुरक्षित रखें!”


👴 बुजुर्गों के लिए खास – जब नई पीढ़ी ने समझा परिवार का महत्व!

इस आयोजन का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह था कि बुजुर्गों और नई पीढ़ी को एक साथ जोड़ना। आज के दौर में जब परिवारों में बुजुर्गों की अहमियत कम होती जा रही है, यह आयोजन इस बात का प्रतीक बना कि बड़ों का सम्मान करना और उनसे सीखना ही हमें संस्कारी बनाता है।

बुजुर्ग मनोरंजन केंद्र के संचालक श्री पी.एन. लाल ने कहा:
“हम चाहते हैं कि नई पीढ़ी बुजुर्गों का सम्मान करे, उनके अनुभवों से सीखे और परिवार में प्यार और अपनापन बनाए रखे। इस तरह के आयोजनों से हमें यह सीखने का मौका मिलता है कि जीवन में प्रेम और सौहार्द का क्या महत्व है।”


🎶 गानों, नृत्य और मस्ती से भरा रहा माहौल!

कोई भी त्योहार अधूरा रहता है जब तक उसमें संगीत, नृत्य और मस्ती का तड़का न लगे! इस आयोजन में सभी बुजुर्गों और बच्चों ने गानों पर नृत्य किया, हंसी-मज़ाक किया और एक-दूसरे को गले लगाकर इस होली को यादगार बना दिया।

इस खास मौके पर कुछ बुजुर्गों ने अपने पुराने दिनों के गीत गाए, जिससे माहौल और भी खुशनुमा हो गया। 🎶✨

“बुरा न मानो, होली है!” – शिकवे-शिकायतों को किया दूर!

इस आयोजन की एक और खासियत यह रही कि इसमें सभी ने यह संकल्प लिया कि होली का पर्व केवल रंगों का नहीं बल्कि दिलों को जोड़ने का भी होता है।
🎯 “अगर किसी से कोई शिकवा या शिकायत है, तो उसे भूलकर गले लग जाएं!”


🌍 यह होली केवल एक उत्सव नहीं, एक संदेश थी!

🎯 “सौहार्द और प्रेम बनाए रखें!”
🎯 “बड़ों का सम्मान करें!”
🎯 “पर्यावरण को सुरक्षित रखें!”
🎯 “पानी की बर्बादी को रोकें!”

यह आयोजन यह दिखाता है कि होली केवल रंगों का पर्व नहीं, बल्कि लोगों को जोड़ने का, खुशियां बांटने का और समाज को एक सकारात्मक संदेश देने का भी अवसर है।


🎉 इस साल की होली बनी यादगार – क्या आपने भी इस तरह से होली मनाई? हमें कमेंट में बताइए!