

बोकारो शहर में अचानक पुलिस का पैदल मार्च शुरू होता है।
नया मोड़, सिटी सेंटर, राम मंदिर और सेक्टर 12 की गलियों में एसपी हरविंदर सिंह खुद उतरते हैं, दर्जनों अधिकारी, ट्रैफिक डीएसपी, थाना प्रभारी और सिपाहियों के साथ।
वजह बताई जाती है –
👉 नशेड़ियों पर शिकंजा
👉 पब्लिक प्लेस में अनुशासन
👉 महिलाओं की सुरक्षा
👉 ट्रैफिक नियमों का पालन
लेकिन सवाल उठता है —
क्या यह सब जनता की सेवा है या दिखावटी शक्ति प्रदर्शन?
💥 “पुलिस अब सड़क पर है, लेकिन क्या न्याय भी है?”

बोकारो पुलिस दावा करती है – अब हर गली, हर नुक्कड़ पर उनकी नजर है।
नशा करने वाले, गलत पार्किंग, छेड़खानी करने वाले अब बख्शे नहीं जाएंगे।
लेकिन लोगों की भी अपनी आवाज़ है —
- “क्या सिर्फ पब्लिक में डर फैलाने से अपराध खत्म होगा?”
- “गलत पार्किंग पर सीधा चालान और जब्ती? पहले समझाना क्या गुनाह है?”
- “रात को पैदल मार्च से महिलाएं सुरक्षित या और डरी हुई महसूस कर रही हैं?”
🎙️ पुलिस कहती है – “अब सिर्फ FIR नहीं, सीधी कार्रवाई होगी!”
सवाल ये है — कानून का डर जरूरी है या इंसाफ का भरोसा?
बोकारो की सड़कों पर ये नया पैदल मार्च लोगों को सुरक्षा दे रहा है या दहशत?
🗣️ जनता की राय जरूरी है
क्या आप इस ड्राइव से सहमत हैं?
क्या आप भी मानते हैं कि बोकारो पुलिस अब असली एक्शन मोड में है?
या फिर यह सब सिर्फ एक नया तमाशा है मीडिया के लिए?
👇 कमेंट करिए, अपनी राय दीजिए। पुलिस तक आवाज पहुंचाइए।
📢 अगर आप चाहते हैं कि बोकारो वाकई सुरक्षित बने, तो इस लेख को शेयर कीजिए।
“बोकारो की आवाज़” सिर्फ खबर नहीं, सवाल भी उठाता है।
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