

बोकारो/चास:
झारखंड के औद्योगिक शहर बोकारो में उस वक्त हड़कंप मच गया जब चास बाजार में चार हथियारबंद युवकों ने दिनदहाड़े एक नामचीन आभूषण दुकान – आस्था ज्वेलर्स – को अपना निशाना बनाया। ये घटना ना सिर्फ CCTV में दर्ज हो गई, बल्कि स्थानीय लोगों के दिलों में डर और बेचैनी की लहर दौड़ा गई।
घटना की पूरी कहानी: कैसे घटी लूट की वारदात

शाम 6:30 बजे का वक्त था, बाजार में हलचल सामान्य थी। तभी चार युवक दुकान में घुसे। शुरुआत में वे ग्राहक की तरह बर्ताव करते रहे। दुकान के मालिक जितेंद्र कुमार के अनुसार,
“उन्होंने चांदी की अंगूठी दिखाने की बात कही, लेकिन फिर रिवॉल्वर लोड कर हमें धमकाने लगे। मैंने जैसे ही कुछ कहने की कोशिश की, उन्होंने गाली-गलौज शुरू कर दी और सब कुछ लूट लिया।”
उन्होंने स्टाफ को भी बंधक बनाया और काउंटर से लेकर तिजोरी तक पूरा सामान समेट लिया।
लाखों रुपये के जेवरात और नगदी लेकर आराम से फरार हो गए।
CCTV में कैद हुआ खौफनाक मंजर

पूरा घटनाक्रम दुकान के CCTV कैमरे में कैद हो चुका है। फुटेज में साफ दिख रहा है कि अपराधी पहले से प्लान बनाकर आए थे। चेहरों पर न कोई डर, न जल्दबाज़ी।
ऐसा लग रहा था जैसे कानून उनके लिए कोई मायने ही नहीं रखता।
व्यापारियों में आक्रोश, सुरक्षा पर सवाल

इस वारदात के बाद चास बाजार के व्यापारियों में भारी नाराज़गी है। दुकानदारों का कहना है कि:
“अगर भीड़भाड़ वाले बाजार में ऐसी घटनाएं हो रही हैं, तो पुलिस की मौजूदगी का क्या मतलब?”
सवाल ये भी है कि पुलिस को भनक तक नहीं लगी, जबकि चार युवक दुकान में आधे घंटे से ज्यादा रुके।
क्या गश्ती बंद कर दी गई है? या अपराधियों को कानून से डर ही नहीं रहा?
पुलिस की कार्रवाई – क्या पर्याप्त है?
पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, CCTV फुटेज जब्त किया गया है और नाकाबंदी की गई है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या ये महज “रूटीन इन्वेस्टिगेशन” बनकर रह जाएगी?
थाना प्रभारी का कहना है – “हम जल्द ही अपराधियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करेंगे।”
लेकिन सवाल यह है कि कितनी बार ऐसा कहा गया, और कितने मामले अब भी फाइलों में धूल फांक रहे हैं?
सामाजिक और मनोवैज्ञानिक असर
इस घटना ने न सिर्फ व्यापारियों को डरा दिया है, बल्कि आम जनता को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। एक सवाल सबके दिल में है:
“जब बाजार सुरक्षित नहीं, तो घर-दुकान कैसे सुरक्षित हों?”
इसका असर व्यापार पर भी पड़ा है – घटना के बाद कई दुकानदारों ने समय से पहले अपनी दुकानें बंद कर दीं। ग्राहकों की संख्या में भी भारी गिरावट देखी गई।
क्या यह सिर्फ डकैती थी या संकेत एक बड़ी विफलता का?
ये सिर्फ एक दुकान की लूट नहीं थी –
यह प्रशासनिक सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलने वाली घटना थी।
यह एक आम दुकानदार की बेबसी की चीख थी, जो CCTV में कैद होकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
अंत में: जनता पूछ रही है – जवाब कौन देगा?
- जब बाजार में पुलिस की मौजूदगी नहीं है, तो सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा?
- क्या चास पुलिस इस केस का खुलासा कर पाएगी या ये मामला भी फाइलों में गुम हो जाएगा?
- व्यापारियों की सुरक्षा की क्या कोई गारंटी है?
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👉 व्यापारियों की सुरक्षा की मांग करें – क्योंकि कल आपकी दुकान भी हो सकती है।