
सरहुल: प्रकृति और हरियाली का पर्व
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में आदिवासी पर्वों का विशेष महत्व है, और उनमें से एक महत्वपूर्ण पर्व है सरहुल। यह पर्व झारखंड, बिहार, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज का प्रमुख त्योहार है, जो प्रकृति और हरियाली के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का प्रतीक है।

इस वर्ष भी सरहुल का पर्व पूरे बोकारो पुलिस परिवार द्वारा बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। बोकारो के सेक्टर 12 स्थित पुलिस लाइन में भव्य आयोजन किया गया, जिसमें डीआईजी सुरेंद्र झा, एसपी मनोज स्वर्गियारी, सभी डीएसपी, इंस्पेक्टर और अन्य पुलिस अधिकारी शामिल हुए। इसके अलावा, स्थानीय लोगों ने भी इस पर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
प्रकृति की आराधना और पारंपरिक रीति-रिवाज

सरहुल पर्व में प्रकृति की पूजा की जाती है। इस दिन सल, महुआ और अन्य वृक्षों की टहनियों को देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है, क्योंकि यह पर्व वनों और हरियाली के महत्व को दर्शाता है।
बोकारो पुलिस परिवार ने भी इस अवसर पर पारंपरिक आदिवासी परिधान पहनकर पूजा-अर्चना की। ढोल, नगाड़ों और मांदर की थाप पर पारंपरिक आदिवासी नृत्य और संगीत का आयोजन किया गया। इस दौरान पूरा माहौल भक्ति और उल्लास से भर गया।
पुलिस परिवार और आम जनता की भागीदारी
इस आयोजन में पुलिस अधिकारियों के परिवारों के साथ-साथ आम नागरिकों ने भी भाग लिया। सरहुल पर्व को लेकर बोकारो पुलिस लाइन में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। लोगों ने एक-दूसरे को सरहुल की बधाइयाँ दीं और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लिया।
सरहुल न केवल एक धार्मिक पर्व है बल्कि यह समाज में भाईचारे, एकता और सद्भाव का संदेश भी देता है। इस पर्व के माध्यम से सभी को प्रकृति की रक्षा का संकल्प दिलाया गया।
डीआईजी और एसपी ने दिया विशेष संदेश
इस भव्य आयोजन के दौरान डीआईजी सुरेंद्र झा और एसपी मनोज स्वर्गियारी ने विशेष रूप से कहा:
“सरहुल सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति हमारी आस्था और प्रेम का प्रतीक है। यह हमें हमारे पूर्वजों की सिखाई हुई संस्कृति और परंपराओं को सहेजने की प्रेरणा देता है। हम सभी को इस पर्व के माध्यम से प्रकृति की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक हरा-भरा और स्वस्थ पर्यावरण मिल सके।”
सरहुल: पर्यावरण संरक्षण का संदेश
सरहुल पर्व सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह हमें प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का भी संदेश देता है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हरियाली और प्रकृति के बिना जीवन अधूरा है। इस अवसर पर बोकारो पुलिस अधिकारियों और आम जनता ने मिलकर वृक्षारोपण करने और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।
प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन आज एक गंभीर समस्या बन चुका है। सरहुल जैसे पर्व हमें सिखाते हैं कि हमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना चाहिए और प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करना चाहिए।
सरहुल पर्व और आदिवासी समाज की आस्था
सरहुल पर्व आदिवासी समाज में विशेष आस्था रखता है। यह पर्व साल वृक्ष (सल ट्री) की पूजा के साथ जुड़ा हुआ है। आदिवासी समाज के अनुसार, साल वृक्ष के फूल आने के बाद ही यह त्योहार मनाया जाता है।
इस पर्व के दौरान विभिन्न प्रकार के नृत्य और पारंपरिक गीतों का आयोजन होता है, जिसमें आदिवासी समाज के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं। सरहुल पर्व सभी समुदायों को एकजुट करने और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर प्रदान करता है।
बोकारो पुलिस परिवार का सरहुल महोत्सव: एक भव्य आयोजन
बोकारो पुलिस परिवार ने इस पर्व को पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया। इस दौरान:
✅ पारंपरिक पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ।
✅ पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर आदिवासी नृत्य प्रस्तुत किए गए।
✅ पुलिस अधिकारियों और आम जनता ने मिलकर त्योहार का आनंद लिया।
✅ सभी ने एक-दूसरे को शुभकामनाएं दीं और सामूहिक भोज का आयोजन किया गया।
भविष्य में भी जारी रहेगा यह भव्य आयोजन
बोकारो पुलिस परिवार ने इस पर्व को हर वर्ष और भी बड़े स्तर पर मनाने का संकल्प लिया। हर साल की तरह इस बार भी इस आयोजन ने पूरे इलाके को उत्साह, उमंग और खुशियों से भर दिया।
सरहुल पर्व 2025: एकता, प्रकृति और संस्कृति का संगम
सरहुल पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह समाज को एकता, भाईचारे और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का संदेश भी देता है।
🎉 सरहुल पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं!
“प्रकृति से प्रेम करें, हरियाली बचाएं और खुशहाल जीवन का संकल्प लें!” 🌿🎶