
गुरुवार को नियोजन की मांग को लेकर विस्थापित अप्रेंटिस संघ के बैनर तले सैकड़ों विस्थापितों ने बीएसएल (भिलाई स्टील लिमिटेड) के प्रशासनिक भवन का घेराव किया। प्रदर्शनकारियों ने प्लांट जाने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को रोकते हुए विरोध जताया। किसी को भी एडीएम बिल्डिंग की ओर जाने की अनुमति नहीं दी गई, और जो लोग जाने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें जबरन वापस भेज दिया गया।
प्रदर्शनकारियों की मांगें
प्रदर्शन कर रहे अप्रेंटिस संघ का स्पष्ट कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जाएंगी, उनका अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी रहेगा। प्रदर्शनकारियों ने अपनी मुख्य मांगें इस प्रकार रखीं:
- नियोजन प्रक्रिया को तत्काल बहाल किया जाए।
- अप्रेंटिस संघ के सदस्यों को डायरेक्ट नियोजन दिया जाए।
- जब तक नियोजन प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था की जाए।
- वर्षों से लंबित भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से पूरा किया जाए।
प्रदर्शन का माहौल और प्रशासन की प्रतिक्रिया

इस विरोध प्रदर्शन के दौरान हालात बिगड़ने से रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया। सिटी इंस्पेक्टर, सेक्टर-4 थाना प्रभारी, और सीआईएसएफ के जवान मौके पर मौजूद थे। प्रदर्शनकारियों ने लाठियों के साथ नारेबाजी की और बीएसएल प्रबंधन से अपनी नौकरी की मांग दोहराई।
इस दौरान विस्थापित सांसद ढुल्लू महतो के समर्थन में भी नारे लगाए गए। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि बीएसएल प्रबंधन ने वर्षों से उन्हें केवल आश्वासन देकर गुमराह किया है और अब समय आ गया है कि वे अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए सड़कों पर उतरें।
वर्षों से चल रहा संघर्ष
प्रदर्शनकारी अप्रेंटिस संघ के सदस्यों ने कहा कि यह लड़ाई केवल एक या दो वर्षों की नहीं, बल्कि दशकों पुरानी है। उन्होंने बताया कि:
- बीएसएल प्रबंधन ने दो बार परीक्षाएं लीं, लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
- नियोजन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी के कारण कई योग्य उम्मीदवारों को रोजगार नहीं मिल पाया।
- कंपनी ने वार्ता का बहाना बनाकर उन्हें सिर्फ आश्वासन दिए, लेकिन धरातल पर कोई निर्णय लागू नहीं किया गया।
क्या आगे होगा?
विस्थापित अप्रेंटिस संघ के सदस्य अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने का ऐलान कर चुके हैं। वे तब तक आंदोलन जारी रखने की बात कर रहे हैं जब तक बीएसएल प्रबंधन उनकी सभी मांगों को पूरा नहीं करता। आंदोलन की तीव्रता को देखते हुए यह स्पष्ट है कि अगर जल्द कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन प्रदर्शनकारियों का यह आंदोलन स्थानीय और औद्योगिक राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीएसएल प्रबंधन और प्रशासन इस संकट का समाधान कैसे निकालते हैं।