
झारखंड का चास नगर निगम कभी स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं के मामले में आदर्श माना जाता था, लेकिन वर्तमान में यह क्षेत्र गंभीर संकटों से जूझ रहा है। यहां के नागरिकों को पेयजल की भीषण कमी, अनियमित बिजली आपूर्ति, गंदगी और कचरे के अंबार जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। खासकर वार्ड 27 के बाबा नगर इलाके के हालात बेहद दयनीय हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई बार प्रशासन से शिकायत करने के बावजूद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
पानी की भीषण किल्लत
पानी जीवन के लिए अनिवार्य है, लेकिन बाबा नगर में यह एक सपना बन चुका है। वर्षों पहले जहां 40 फीट की बोरिंग से पानी आसानी से मिल जाता था, अब 300 फीट खोदने के बाद भी पानी नहीं निकल रहा है। इस क्षेत्र में पानी की समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी दूर-दूर से पानी लाना पड़ता है।
- नल और चापाकल हुए बेकार: सरकारी चापाकल और पाइपलाइन से जलापूर्ति लगभग बंद हो चुकी है। कुछ नल वर्षों से सूखे पड़े हैं, जिनकी मरम्मत तक नहीं की गई है।
- महंगा होता पानी: मजबूरी में लोग पानी खरीदने पर विवश हैं, जिससे उनका मासिक खर्च 500-600 रुपये तक बढ़ गया है। यह अतिरिक्त खर्च मध्यम और निम्न वर्गीय परिवारों पर भारी पड़ रहा है।
- गर्मी में बढ़ती परेशानी: गर्मी के मौसम में यह समस्या और अधिक गंभीर हो जाती है, क्योंकि भूमिगत जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है।
- होर्डिंग टैक्स के बावजूद सुविधाओं का अभाव: स्थानीय नागरिकों का कहना है कि वे नियमित रूप से होल्डिंग टैक्स भरते हैं, फिर भी उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
बिजली संकट: झूलते तार और अंधकारमय रातें
बिजली की अनियमितता भी इस क्षेत्र के लोगों की एक प्रमुख समस्या है।
- झूलते हुए बिजली के तार: इलाकों में बिजली के तार काफी नीचे लटक रहे हैं, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। यह स्थिति खासकर बारिश के मौसम में और भी खतरनाक हो जाती है।
- स्ट्रीट लाइटें खराब: कई गलियों और मुख्य सड़कों पर लगी स्ट्रीट लाइटें महीनों से खराब पड़ी हैं। रात के समय इलाके में घना अंधेरा रहता है, जिससे दुर्घटनाओं और अपराधिक घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
- बिजली कटौती: इलाके में बार-बार बिजली की कटौती होती है। कभी-कभी घंटों तक बिजली नहीं रहती, जिससे लोगों को भारी परेशानी होती है।
- खुले ट्रांसफार्मर: कई इलाकों में खुले ट्रांसफार्मर खतरे की घंटी बने हुए हैं। स्थानीय प्रशासन को कई बार इसकी सूचना दी गई, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला।
गंदगी और कचरे के ढेर से बढ़ता संकट
बाबा नगर की गलियों में सफाई व्यवस्था लगभग ठप पड़ी है। कचरा गाड़ियों के न आने से गंदगी का ढेर लग गया है।
- सड़कें बनीं कूड़ाघर: नगर निगम की सफाई गाड़ियां महीनों तक नहीं आती हैं, जिससे लोग मजबूरन अपना कचरा खुले में फेंकने को विवश हैं।
- बीमारियों का खतरा: गंदगी के कारण मच्छरों और अन्य बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। स्थानीय अस्पतालों में डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
- नालों की सफाई नहीं: इलाके में नालों की सफाई नहीं होने से बदबू और गंदगी का साम्राज्य स्थापित हो चुका है। इससे जलभराव और सड़कों पर कीचड़ की समस्या बनी रहती है।
जनता ने प्रशासन को जगाने की कोशिश की
- नगर आयुक्त को पत्र सौंपा: स्थानीय नागरिकों ने नगर निगम के अधिकारियों को लिखित शिकायत दी, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
- विधायक और पार्षद से शिकायत: क्षेत्र के विधायक और पार्षद से भी इस समस्या को उठाया गया, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला।
- मीडिया के जरिए दबाव बनाने की कोशिश: लोग अब सोशल मीडिया और स्थानीय समाचार पत्रों के जरिए अपनी आवाज उठा रहे हैं ताकि प्रशासन उनकी समस्याओं को गंभीरता से ले।
सरकार और प्रशासन से मांग
स्थानीय जनता ने अपनी समस्याओं को हल करने के लिए निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
✅ जलापूर्ति बहाल की जाए: इलाके में पाइपलाइन बिछाई जाए और नियमित जल आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
✅ चापाकल और नल ठीक कराए जाएं: खराब पड़े चापाकल और सरकारी नलकों की मरम्मत कराई जाए।
✅ बिजली के तार दुरुस्त किए जाएं: लटकते हुए बिजली के तारों को व्यवस्थित किया जाए और खुले ट्रांसफार्मरों को ढंका जाए।
✅ स्ट्रीट लाइटें चालू की जाएं: खराब पड़ी स्ट्रीट लाइटों को जल्द से जल्द ठीक किया जाए।
✅ सफाई अभियान चलाया जाए: इलाके में सफाई व्यवस्था को नियमित किया जाए और कचरा उठाने के लिए नगर निगम की गाड़ियां भेजी जाएं।
✅ स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर की जाएं: बीमारियों को देखते हुए इलाके में विशेष स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएं।
निष्कर्ष
बाबा नगर की जनता कई वर्षों से मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही है। पानी, बिजली और सफाई जैसी बुनियादी आवश्यकताएं किसी भी नागरिक का अधिकार होती हैं, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण यहां के लोग इन सुविधाओं से वंचित हैं।
अगर स्थानीय प्रशासन जल्द ही इन समस्याओं का समाधान नहीं करता है, तो जनता बड़े आंदोलन के लिए मजबूर हो सकती है। सरकार को चाहिए कि वह तुरंत प्रभाव से इस क्षेत्र की समस्याओं पर ध्यान दे और नागरिकों को राहत प्रदान करे।
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